Saturday 5 March 2016

Battle for the ground control- JNU and Beyond.

हम सभी अपने अपने बच्चों को जी जान से चाहते हैं। हम अपने गाँव और मुहल्ले के बच्चों को भी उतना ही प्यार करते हैं। उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए हम हमेशा सजग रहते भी रहते हैं। लेकिन जब कोई राजनितिक पार्टी हमारे बच्चों के लिए सड़क पर उतर आये तो सोचने की जरुरत पड़ती है। ऐसा लगता है कम्युनिस्ट पार्टी को हमारे ऊपर भरोसा नहीं रहा की हम अपने बच्चों को उचित शिक्षा और संस्कार दे पाएंगे। दर असल JNU के दंगल का अखाडा कही और है। इस संघर्ष के मूल में हमारे वो छोटे छोटे बच्चे हैं जो कक्षा 4 से 12 की पढाई कर रहे हैं। यह एक कब्जे की लड़ाई है जो कम्युनिस्टों ने कांग्रेस से अपने उस उधार के बदले लीज पर लिया था जो उन्होंने 1957 में नेहरू को तब दिया था जब श्रीमती इंदिरा गांधी के दबाव में देश में पहली बार दक्षिण के एक राज्य सरकार को बर्खास्त कर दिया गया था। कम्युनिस्टों ने तब से ही गुपचुप तरीके से इस लीज के जमीन पर अपने लिए एक किले का निर्माण शुरू कर दिया। यह जमीन थी भारत की शिक्षा तंत्र। उन्होंने शोध से लेकर प्रकाशन तक, Indian Curriculum का निर्धारण और उसमे पढ़ाये जाने वाले विषय वस्तु (Syllabus) और सामग्री (Content), विश्वविद्यालयों से लेकर राज्यों के बोर्ड (State Boards) तक में अपनी पकड़ मजबूत करते रहे और कांग्रेस इस लिए आँखे बंद किये रही क्योंकि नेहरू की नीति (Nehruvian Theory) कमोबेस बामपंथी समाजवाद का हामी था। इस तरह 1965 से लेकर अब तक लगभग दो पीढियां ऐसी शिक्षा लेकर समाज के सामने आ खड़ी हुई जो अपने आप पर शर्मिंदा है। समस्या तब सुरु हुई जब NDA की पिछली सरकार ने Indian Curruculum 1952 में सुधार की कोशिशें करने लगी। तब के मानव संसाधन मंत्री मुरली मनोहर जोशी कम्युनिस्टों के निशाने पर सबसे ज्यादा रहे। 2005 में कम्युनिस्टों ने कांग्रेस के साथ सौदेबाजी कर के Indian Curriculum 2005 लागु करवाया ताकि भविष्य में दुबारा देश प्रेम और भारतीय दर्शन जैसी मुद्दों पर कोई संवाद सम्भव ना हो सके। 2005 के बाद छोटे कक्षाओं के syllabus और content में जो बदलाव हुए हैं, उन पर काफी कुछ लिखा गया है। स्मृति ईरानी के हाल के लोकसभा का बयान मात्र एक बानगी है। बहुत सारे विषय हैं जिन पर फिर कभी। तत्काल सिर्फ इतना हीं कि कन्हैया वाही बच्चा है जो "ज" से जहाज की जगह जेहाद और "श" से शरीफा की जगह शहीद पढ़ रहा था। वैसे अच्छी बात ये है कि इस झगडे में कम्युनिस्टों और कांग्रेस का थोडा वजन घट जायेगा और "आप जैसी पार्टियों का वजन बढ़ जायेगा। क्योंकि आप" का मुद्दा भ्रष्टाचार है जो सबको जगाता है।लेकिन सबसे ज्यादा फायदा बीजेपी को होगा जिसका लाभ देश को भी मिलेगा क्योकि बीजेपी का मुद्दा विकाश और राष्ट्रवाद है जो सबको लुभाता है।

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